आधारभूत विषय
पू. आद्य शंकराचार्य द्वारा उल्लेखित पंचकोश विकास की दृष्टि से आधारभूत विषय विद्यालयों में पढ़ाने का आग्रह हैं। इन आधारभूत विषयों के द्वारा अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश तथा आनंदमय कोश का विकास होता है।
शारीरिक शिक्षा
शारीरिक शिक्षा द्वारा बालक सुदृढ़, बलशाली बनें, अच्छा खिलाड़ी बनें, उसकी शारीरिक क्षमताओं का विकास हो ऐसा प्रयास है। ऐसा बालक ही देश और धर्म की रक्षा कर सकेगा। आयुनुसार (कक्षा अनुसार) शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम विशेषज्ञों ने बनाया है। संबद्धित विद्यालयों में इस पाठ्यक्रम को लागू करने का आग्रह है।
योग शिक्षा
योग से शरीर, प्राण, मन, बुद्धि एवं आत्मा इन पांचों स्तर का विकास होता है। योग एक जीवनशैली है। यह जीवनदृष्टि आदि काल से भारत में स्वीकृत है। विश्वभर में इसे विश्व योग दिवस के रूप में अपनाया गया है। विद्या भारती का प्रयत्न है कि हमारे सभी बालक बालिकाएं योगाभ्यासी बने। योग के अभ्यास से शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास उत्तम पद्धति से होता है, यह विज्ञान से एवं अनुभव से सिद्ध हुआ है। योग शिक्षा का भी पाठ्यक्रम है।
संगीत शिक्षा
संगीत वह कला है जो प्राणी के ह्रदय के अंतरतम तारों को झंकृत कर देती है। उदात्त भावनाओं के जागरण एवं संस्कार प्रक्रिया के माध्यम के रूप में संगीत का शिक्षण विद्या भारती से संबद्ध सभी विद्यालयों में हो यह आग्रह है। राष्ट्रभक्ति के गीतों का स्वर पूरे भारत में गूंजता है। विभिन्न भारतीय भाषाओं के देशभक्ति गीत विद्यालयों में कंठस्थ करने से राष्ट्रीय एकात्मता का भाव निर्माण होता है। संगीत शिक्षा का भी कक्षा अनुसार पाठ्यक्रम निर्धारित है।
संस्कृत शिक्षा
संस्कृत केवल एक भाषा नहीं वरन विश्व के अधिकांश भाषाओं की जननी भी है। संस्कृत साहित्य में भारतीय संस्कृति एवं भारत के प्राचीन ज्ञान विज्ञान की निधि भरी पड़ी है। संस्कृत भाषा के ज्ञान के बिना हमारे छात्र उस प्राचीन ज्ञान से अपरिचित रहेंगे। संस्कृत भारत की राष्ट्रीय एकता का सूत्र भी है। संगणक के लिए यह उपयुक्त भाषा है। विद्या भारती ने इसी कारण संस्कृत भाषा के शिक्षण को अपने विद्यालय में महत्वपूर्ण स्थान दिया है। संस्कृत संभाषण वर्ग आयोजित कर संस्कृत बोलना सीख सकते हैं।
नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा
बालक देश का भावी कर्णधार है। उसके चरित्र बल पर देश की प्रतिष्ठा एवं विकास आधारित है। अतः नैतिकता, राष्ट्रभक्ति आदि मूल्यों की शिक्षा और जीवन के आध्यात्मिक दृष्टिकोण का विकास करने हेतु विद्या भारती ने यह पाठ्यक्रम बनाया है। यह शिक्षा प्रक्रिया का आधार विषय है। भारतीय संस्कृति, धर्म एवं जीवनादर्शों के अनुरूप बालकों के चरित्र का निर्माण करना विद्या भारती की शिक्षा प्रणाली का प्रमुख लक्ष्य है।